“Hindi Cinema aur Asmita: Mulak Vimarsha” Dr. Balraj Sihmar द्वारा लिखित एक गंभीर और विचारोत्तेजक पुस्तक है, जो हिंदी सिनेमा को केवल मनोरंजन के माध्यम के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक अस्मिता के सशक्त मंच के रूप में विश्लेषित करती है। यह पुस्तक हिंदी फिल्मों के माध्यम से निर्मित और प्रतिबिंबित होने वाली विभिन्न अस्मिताओं—जैसे वर्ग, जाति, लिंग, क्षेत्र, राष्ट्र और हाशिए पर मौजूद समुदायों—का गहन विमर्श प्रस्तुत करती है।
Dr. Balraj Sihmar का दृष्टिकोण आलोचनात्मक होने के साथ-साथ अकादमिक रूप से सुदृढ़ है। वे हिंदी सिनेमा के ऐतिहासिक विकास को सामने रखते हुए यह स्पष्ट करते हैं कि किस प्रकार सिनेमा ने समय-समय पर सामाजिक यथार्थ को या तो चुनौती दी है या फिर उसे रूढ़ियों में बांधने का कार्य किया है। पुस्तक में लोकप्रिय और समानांतर सिनेमा—दोनों की चर्चा करते हुए यह बताया गया है कि नायक-नायिका, खलनायक, स्त्री पात्र और हाशिए के चरित्र किस तरह समाज की सोच को प्रभावित करते हैं।
इस कृति की विशेषता यह है कि लेखक सिनेमा को केवल कला नहीं, बल्कि विचारधारा के वाहक के रूप में देखते हैं। राष्ट्रवाद, पितृसत्ता, उपभोक्तावाद और बाजार के प्रभावों को भी वे सूक्ष्मता से विश्लेषित करते हैं। साथ ही, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक अस्मिताओं के प्रतिनिधित्व पर लेखक की टिप्पणी पुस्तक को और अधिक प्रासंगिक बनाती है।
भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण और शोधपरक है, जिससे यह पुस्तक शोधार्थियों, विद्यार्थियों, सिनेमा अध्येताओं और जागरूक पाठकों—सभी के लिए उपयोगी बन जाती है। “Hindi Cinema aur Asmita: Mulak Vimarsha” न केवल हिंदी सिनेमा को नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देती है, बल्कि समाज और संस्कृति की गहरी समझ भी विकसित करती है। यह पुस्तक समकालीन सांस्कृतिक अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान कही जा सकती है।
Hindi Cinema aur Ashmitamulak Vimarsha in Hindi
BOOK:HINDI CINEMA AUR ASHMITAMULAK VIMARSHA
AUTHOR:DR.BALRAJ SIHMAR AND DR.ANITA SIHMAR
ISBN: 978-8194881-76-6
SIZE:5.5 BY 8.5 INCHES
TYPE:PAPERBACK
PRICE:199
PAGES: 132








