“कबीर क्यों ज़रूरी हैं” डॉ. बलराज सिंहमार द्वारा लिखित एक विचारोत्तेजक और प्रासंगिक पुस्तक है, जो संत कबीर के दर्शन को आज के सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक संदर्भों में समझाने का सार्थक प्रयास करती है। यह पुस्तक कबीर को केवल एक मध्यकालीन संत या कवि के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे क्रांतिकारी चिंतक के रूप में प्रस्तुत करती है, जिनके विचार आज भी उतने ही जीवंत और आवश्यक हैं।
डॉ. बलराज सिंहमार ने सरल, तार्किक और प्रभावशाली भाषा में कबीर के जीवन, उनकी वाणी और उनके सामाजिक दृष्टिकोण का विश्लेषण किया है। पुस्तक यह स्पष्ट करती है कि कबीर ने अपने समय में पाखंड, अंधविश्वास, जातिवाद, धार्मिक कट्टरता और सामाजिक असमानता का जिस निर्भीकता से विरोध किया, वही समस्याएँ आज भी अलग-अलग रूपों में हमारे समाज में मौजूद हैं। इस दृष्टि से कबीर की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।
लेखक यह भी दर्शाते हैं कि कबीर का मूल संदेश मानवता, प्रेम, समरसता और आत्मबोध पर आधारित है। कबीर बाहरी आडंबरों की बजाय आंतरिक शुद्धता, सत्य और विवेक को महत्व देते हैं। पुस्तक में कबीर के दोहों और साखियों की व्याख्या समकालीन उदाहरणों के माध्यम से की गई है, जिससे पाठक उन्हें अपने जीवन से जोड़ पाता है।
“कबीर क्यों ज़रूरी हैं” युवाओं, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और सामान्य पाठकों—सभी के लिए उपयोगी पुस्तक है। यह न केवल कबीर के विचारों को समझने में मदद करती है, बल्कि पाठक को आत्मचिंतन और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए प्रेरित भी करती है। डॉ. बलराज सिंहमार की यह कृति कबीर साहित्य को आधुनिक दृष्टि से देखने की एक सार्थक कोशिश है, जो आज के समय में सोचने, समझने और बदलने की प्रेरणा देती है।
Kabeer kyu Jaruri Hai first ed.
Book: Kabeer kyu Jaruri Hai first ed.
Author: Dr.Balraj Sihmar and Dr.Anita Sihmar
ISBN:978-9382927-95-2
Type: Paperback
Size: 5.5 by 8.5 inches
Price: 350 INR








